Tuesday, February 9, 2021

वैलेंटाइन_वीक_पर_एक_ख़त



वैलेंटाइन वीक ! ❤️ ...जिन्हें इश्क़ से एलर्जी नहीं है, जिन्होंने इश्क़ को जिया है, जो इश्क़ जीना चाहते हैं...उनके लिए उनके अपने त्योहारों का एक हफ़्ता। जिसमें न जाने कितने दिल टूटेंगे, न जाने कितने दिल एक दूसरे का हाथ थामेंगे और न जाने कितने अपने रिश्ते पर पड़ी वक़्त की गर्द झाड़-पोंछ कर तरोताज़ा हो जाएंगे। पर इस सब के दौरान याद रखना होगा कि इश्क़ सुविधा या विलासिता नहीं है, एक ज़िम्मेदारी है। ज़िम्मेदारी इस बात की कि हमें पुरातनपंथी सोच वाले पंडो-कठमुल्लों को इश्क़ को गरियाने का कोई मौक़ा नहीं मुहैया कराना है, ज़िम्मेदारी इस बात की कि इश्क़ को दमघोंटू और ज़ंजीरों से लदे किसी कॉन्ट्रैक्ट में नहीं बदलने देना है.....ज़िम्मेदारी इस बात की कि हम सब को मिलकर ऐसा परिवेश गढ़ना है कि कहीं कोई मनोज और बबली , कहीं कोई अंकित, कहीं कोई प्रणय लिजलिजे जात-मज़हब के ख़ूनी ठेकेदारों के हाथों घेर कर मार न दिया जाए। अपने इश्क़ का ही नहीं, दूसरों के इश्क़ का भी सम्मान करना सीखना होगा। सबका साथ देना सीखना होगा....वरना सब ऐसे ही अकेलेपन में घेर कर मार दिए जायेंगे। कोई ज़रूरी नहीं की ख़ून के निशान दिखें ही, लाश बरामद हो या कोई ख़बर बने...बहुत से ज़िबह किये गए दिलों का, छूटते रिश्तों का और जीती-जागती ज़िन्दगियों के धीरे-धीरे रिस कर ख़त्म हो जाने का सबूत और गवाह सिर्फ़ वक़्त होता है...


और एक बात, इश्क़ जंग नहीं है और इश्क़ में सब जायज़ नहीं होता। सामने वाले की असहमति का सम्मान करने का बूता न हो तो इश्क़ आपका इलाक़ा नहीं। आप जनेऊ ही फेरिये, दाढी बढ़ाइये, परिवार जहां मुनाफ़ा वाला धंधा जोड़ दे वहीं शादी कर लीजिये और शुरुआती महीनों में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर  'वर्ल्ड्स बेस्ट हबी' और 'वर्ल्ड्स बेस्ट वाइफ़' वाली तस्वीरें चेंपते रहिये। वही आनंदमय है आपके लिए।


वरना इश्क़ अगर आपको बेहतर इंसान नहीं बनाता, सामने वाले को इंसान होने की आज़ादी देने से डरता है तो मेरे दोस्त,  कहीं तो कुछ है जो यक़ीनन जायज़ नहीं। तलाश कीजिये उसे। ग़लतियाँ वक़्त रहते सुधारी जा सकती हैं। 


बहरहाल, इस पूरे वैलेंटाइन वीक में आपके सामने अगर किसी भी धर्म-जाति की, कोई भी सेना, दल, परिषद, संघ, सभा वग़ैरह का कोई कायरों का गिरोह किसी भी जोड़े को परेशान करे तो तुरंत आस-पास के दोस्तों को फोन करें, लोगों को जुटाएं...और भिड़ जाएं...कब तक कैरेक्टर रोल निभाते रहेंगे, असल जिंदगी में लीड रोल में आने के लिये किसी निर्माता-निर्देशक की ज़रूरत नहीं होती...आप ही होते हैं जो भी होते हैं।  अगर बचा सकें तो किसी अंकित, मनोज-बबली, प्रणय को बचा लीजिये ...वरना ...वरना क्या? बाद में ख़बर पढ़ के च्च-च्च करने वाले तो हैं ही हम-आप। 


आपका दोस्त

आशुतोष चन्दन


No comments:

Post a Comment