पूर्वरंग / Poorvarang

Friday, May 8, 2020

दो नॉनवेजिटेरियंस की वार्ता।*

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- 'जिसका हृदय उतना मलिन, जितना कि शीर्ष     वलक्ष है' - ये किसने लिखा ? - ये दिनकर ने लिखा था 'कुरुक्षेत्र' में। ...
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Sunday, July 28, 2019

राष्ट्र को ख़तरा हमारे प्रश्न से है !

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राष्ट्र कभी नहीं मरता। राष्ट्र की सीमाएं/ परिभाषाएं जवान होती चलती हैं। बचा रहता है गौरव-गान  घृणित से घृणित समय में भी वमन के बा...
Sunday, May 26, 2019

आस्तीन

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वक़्त की दरकार यही है कि हम-आप अपनी आस्तीनें काट कर फेंक दे! इसलिए नहीं कि किसी ने दिया है आस्तीन धोने या इस्त्री करने में ज़्या...
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Sunday, April 28, 2019

तीसरी आँख थे एस. त्यागराजन

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जब राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के किसी मंच पर कोई नाटक मंचित हो रहा होता, तो अभिनेता व प्रकाश/संगीत से संबद्ध कलाकारों और दर्शक के अलावा...
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Monday, March 11, 2019

एक शुरू होते नाटक के दौरान

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विचार छत्तीस दिमाग़ में गुत्थमगुत्था एक दूसरे से। एक का सिरा पकड़ो तो साथ आ जाते हैं छः और ! जैसे जलकुम्भी की जड़ें भीतर-भीतर फ...
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Monday, February 25, 2019

ग़ज़ल

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कल हक़ीक़त में नज़र आएंगी मुझको रोटियाँ आज फिर इक बार वो ये सोचकर सो जाएगा। भगवान है, दिखता नहीं, हमने सुना बचपन से है इंसान भी बस कुछ...

ग़ज़ल

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चेहरा लोगों का यूँ सुर्ख़ और आतिशां क्यूँ है इस शहर में हर इक मोड़  हादसा क्यूँ है। न कहीं आग लगी न कोई भी घर है जला फिर हवाओं में तप...

ख़ुदा..आदमीयत ...और हम

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ख़ुदा..आदमीयत ...और हम  ये हिंदी ये उर्दू ये इंग्लिश के मेले ज़ुबानों- अदीबों के लाखों झमेले हैं ढूंढें नज़र अब ज़हनियत कहाँ है है ढूँढ...

रंग खिलते रहें

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रंग खिलते रहें सबके जीवन में। लाल बाम पर खिले, हरा खेतों में और पीला सरसों पे, फूलों में-कलियों में, नीला आकाश और समन्दर में, जहाँ पर भी...

'क से भय' - सत्ता का अपना व्याकरण

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सच कहने के अपने ख़तरे होते हैं। सुकरात, गैलीलियो से लेकर  ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले दुनिया भर के गुमनाम से पत्रकारों, मानवाधिकार संगठन के ...
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