Monday, February 25, 2019

रंग खिलते रहें



रंग खिलते रहें सबके जीवन में।
लाल बाम पर खिले,
हरा खेतों में
और पीला सरसों पे, फूलों में-कलियों में,
नीला आकाश और समन्दर में,
जहाँ पर भी सपनों की गुंजाइश हो, वहाँ खिले।
पूरी दुनिया में बच्चे बढ़ते रहें
भर के सातों रंग अपनी फिरकियों, गुब्बारों और लट्टुओं में,
कि स्कूलों के सारे व्हॉइट और ब्लैक बोर्ड पर
खिल जाए सतरंगी इंद्रधनुष,
कि बच्चे
सीखने और रचने की देहरी पार कर
पहुँच सकें ज्ञान तक,
संवेदना के वितान तक,
कि दुनिया को उनकी बहुत-बहुत ज़रूरत है।

सफेद, चाँदनी के संग-संग बचा रहे
दुधमुँहे बच्चों के दूध के दाँत में,
सारी दुनिया के बच्चों के दूध-भात में,
कि कहीं कोई बच्चा भूख से न मरे।

दोस्ती में, प्रेम में, हर इंसानी रिश्ते में
बचे रहें दुनिया के सारे रंग
और बचा रहे पानी
सबकी ही आँख का
कि जब-तब सारे रंग थोड़ा-थोड़ा घोल के
कर दें खुशरंग अपने आस-पास दुनिया को,
पहले से सुंदर थोड़ा
थोड़ा और बेहतर।

  • आशुतोष चन्दन
    2 मार्च 2018 (होली)





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